Kanke, Ranchi, Jharkhand

( A State Government University )

बीएयू में मोटे अनाजों का मूल्य संवर्धन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय अधीन कार्यरत सामुदायिक विज्ञान विभाग द्वारा मोटे अनाजों का मूल्य संवर्धन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन बुधवार को हुआ। मलिंडा चैरिटेबल ट्रस्ट, गुमला के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में गुमला जिले के छ: पंचायतों के कुल 20 जनजातीय कृषक महिलाओं ने भाग लिया।

प्रशिक्षण के दौरान विभागाध्यक्ष डॉ  रेखा सिन्हा ने महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों हेतु उपयुक्त मिलेट मूल्य संवर्धन तकनीक तथा मिलेट मूल्य संवर्धन में प्रयुक्त उपकरणों की व्यावहारिक जानकारी दी। मिल्लेट्स फसल विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार ने विभिन्न मोटे अनाजों की उत्पादन तकनीक के बारे में बताया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ बिंदु शर्मा एवं डॉ नीलिका चंद्रा ने प्रतिभागी महिलाओं को मडुआ का बिस्कुट, कुकिज, पास्ता, सेवई, लड्डू, निमकी, मिक्सचर, बर्फी, मल्टी ग्रेन आटा के साथ-साथ मडुआ आधारित बाल आहार, माल्ट पेय तथा मडुआ के मूल्यवर्धक उत्पाद धुसका, मोमो, कचौरी, हलवा एवं चीला बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।

समापन समारोह में सामुदायिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ रेखा सिन्हा ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्रदान किया एवं महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर आजीविका एवं पोषण सुरक्षा के लिए मोटे अनाजों का मूल्य वर्धन द्वारा उद्यम चलाने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों को पोषण का पॉवर हाउस कहा जाता है। जबकि वर्त्तमान में मक्का, रागी, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाज हमारे आहार में लगभग नगण्य हो गए है। इनका यथोचित ज्ञान और दैनिक आहार में इनका पुनः समावेश बहुत आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिल्लेट्स वर्ष घोषित किया है। मिलेट भारत की पारंपरिक फसल है। यही वजह है कि भारत के नेतृत्व में पूरा विश्व 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिल्लेट्स वर्ष के रूप में मना रहा है।

डॉ सिन्हा ने बताया कि मोटे अनाजों की महत्ता को देखते हुए सामुदायिक विज्ञान विभाग द्वारा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी, रांची के सौजन्य से हाल में मोटे अनाज के संदर्भ में प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन पर कुल छ: प्रशिक्षण कार्यक्रमों में राज्य के सभी जिलों के कुल 150 किसानों ने भाग लिया। बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के मार्गदर्शन में वैज्ञानिकों द्वारा झारखंड राज्य के उपयुक्त मिल्लेट्स फसल तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कार्यक्रम एवं रणनीति तैयार की जा रही है। कार्यक्रम का संचालन बिंदु शर्मा एवं धन्यवाद डॉ नीलिका चंद्रा ने दी।